Saturday, September 28, 2019

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Monday, September 23, 2019

कांदा लागवड झाल्यानंतर १५ दिवसांनी कांदा पिकातील तननाशक फवारणी किंवा निदंनी झाल्यावर २ ते ३ दिवसांनी कांदा पिकांचा २ ते ४ नमुना उपटून घेऊन येणे त्या वेळेस आम्ही पहिली फवारणी देऊ व पहिली फवारणी झाल्या नंतर तीस दिवसांनी दुसरी फवारणी करण्यासाठी पुन्हा कांद्याचा नमुना उपटून घेऊन येणे व शेवटीची फवारणी घेऊन जा. म्हणजे तेथुन पुढे तुमचे कांदे निघाले.

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Sunday, September 22, 2019


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Thursday, September 19, 2019

इस संभाग के अंतर्गत एक डीम्ड यूनीवर्सिटी सहित 13 राष्ट्रीय संस्थान, 3 ब्यूरो, 9 प्रायोजना निदेशालय, 2 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र, 27 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान प्रायोजनाएं और 5 अखिल भारतीय नेटवर्क प्रायोजनाएं कार्यरत हैं। इसके अलावा इसी संभाग द्वारा कई रिवॉल्विंग फंड स्कीमों और राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क का संचालन और बाहरी परियोजनाओं को भी तकनीकी स्वीकृति प्रदान की जाती है।
भा.कृ.अनु.प. मुख्यालय में स्थित इस संभाग में 6 कमोडिटी सब्जैक्ट पर तकनीकी विभाग हैं- (1.) खाद्य और चारा फसलें (2.) तिलहन और दलहन (3.) व्यावसायिक फसलें (4.) बीज (5.) पादप सुरक्षा (6.) बौद्धिक संपदा अधिकार। सहायक महानिदेशक प्रत्येक विभाग के प्रमुख हैं। 3 प्रधान वैज्ञानिक विभिन्न वैज्ञानिक/तकनीकी मामलों में सहायता देते हैं और उपसचिव (फसल विज्ञान) आन्तरिक प्रशासनिक मामलों की देखरेख करते हैं।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र
  • विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी क्षेत्रों के अनुकूल उन्नत फसल किस्मों/संकरों के विकास के लिए पारम्परिक और आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग; दक्ष, कम लागत वाली, पर्यावरण हितैषी, टिकाऊ फसल उत्पादन और सुरक्षा प्रौद्योगिकियां; मौलिक, रणनीतिक और संभावित फसल विज्ञान अनुसंधान।
  • बीज उत्पादन प्रौद्योगिकियों में सुधार और संकर किस्मों के समावेश द्वारा प्रजनक बीज उत्पादन
  • पौधों, कीटों और कृषि के लिए महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीवों का संरक्षण और टिकाऊ उपयोग
  • फसल विज्ञान में गहन ज्ञान परामर्श दात्री सेवा
उपलब्धियां
  • विभिन्न कृषि पारिस्थितिकियों के लिए 3300 उच्च उत्पादक किस्मों/संकरों का विकास; अखिल भारतीय समन्वित प्रायोजनाओं के नेटवर्क द्वारा आवश्यक प्रौद्योगिकियों की पहचान; 1960 और 1990 के मध्य हरित और पीत क्रांति के दौरान प्राप्त हुई उपरोक्त उपलब्धियां; वर्ष 1950-51 की तुलना में वर्तमान में खाद्यान्न, तोरिया-सरसों और कपास की राष्ट्रीय औसत उत्पादकता में 2-4 गुना बढ़ोतरी।
  • 1970 में विश्व में पहली बार बाजरा और कपास के संकरों का विकास; अन्य फसलों में भी संकरों का विकास जैसे अपारम्परिक फसलें- अलसी, कुसुम, धान, अरहर और तोरिया-सरसों; क्वालिटी प्रोटीन मक्का (क्यूपीएम) और बेबी कॉर्न में अधिक उपज के साथ उच्च पोषण मान वाले एकल क्रॉस संकरों का विकास।
  • कई फसलों में वन्य प्रजातियों से दबाव सहिष्णु और क्वालिटी जीन का समावेशन; दलहनों और अन्य फसलों में नयी फसल पद्धतियों के लिए अगेती और उपयुक्त पादप किस्मों का विकास; कई फसलों में संकर किस्मों के विकास के लिए प्रभावी नर बंध्य पद्धतियों का विकास।
  • पूसा बासमती की आनुवंशिक पृष्ठभूमि में IRBB-55 को जीन का 'xa13' और 'xa21' मोलिक्यूलर मार्कर सहायक चयन। पिरामिड और बैकक्रॉस ट्रांसफर का सफल प्रयोग। इसी से झुलसा सहिष्णु उन्नत पूसा बासमती-1 का विकास हुआ।
  • सरसों में नरबंध्यता के गुणों को दर्शाने वाले एक जीन की पहचान कर अलग किया गया। फर्टिलिटी रेस्टोरर जीन के लिए 'स्कार'मार्कर का विकास किया गया।
  • ब्लास्ट रोग का प्रतिरोधी 'Pi-Kh' जीन क्लोन और लक्षण वर्णन तथा पराजीनी धान में इस जीन की वैद्यता।
  • पराजीनी पौधों में बाह्य जीन के प्रवेशन के लिए नए एरबीडोप्सिस आधारित प्रमोटर की पहचान की गयी।
  • सूखा सहिष्णु गेहूँ किस्म C306 से सूखा दबाव उत्तरदायी कारक 'TaCBF5' और 'TaCBF9'को अलग करना।
  • वैश्विक प्रयत्नों में धान के क्रोमोसोम 11 के 67 लाख आधारीय जोड़ों का अनुक्रमण।
  • 33 प्रमुख फसलों की डीएनए फिंगरप्रिटिंग; जारी की गई 2215 किस्मों की फिगरप्रिटिंग की गई।
  • एनबीपीजीआर, नई दिल्ली में विभिन्न फसलों और उनकी वन्य प्रजातियों की 3,46,000 जर्मप्लाज्म प्रविष्टियों का संरक्षण। एनबीएआईएम, मऊ में 2517 सूक्ष्मजीवों का संवंर्धन (394 बैक्टीरिया, 2077 फफूंद, 36 एक्टिनोमाइसिट्स और 10 यीस्ट प्रभेद। आईएआरआई, नई दिल्ली में 1,75,000 कीट प्रजातियों के डेटाबेस को डिजिटल किया गया।
  • एनबीपीजीआर, नई दिल्ली में मूल्यवान क्षमता वाले पादप जर्मप्लाज्म का रजिस्ट्रेशन और डाक्यूमेंटेशन तैयार करने पर आधारित प्रक्रिया विकसित। 77 पादप प्रजातियों के 482 प्रभेदों को रजिस्टर किया गया।
  • कई फसलों में सेमीलूपर कैटरपिलर के समन्वित प्रबंधन के लिए कम लागत में बहुगुणन करने पर आधारित प्रणाली सहित जैवकीटनाशी प्रभेद DOR Bt-1 का विकास करके इसका फार्मूला KNOCK W.P को रजिस्टर करके व्यावसायीकरण किया गया। ट्राइकोग्रामा चिलोनिस (इंडोग्रामा) के एंडोसल्फान सहिष्णु प्रभेद का विकास। बासमती धान, कपास, सरसों, चना और मूंगफली की कीट प्रबंधन सूचना प्रणाली का विकास।
  • इंडियन इन्फोर्मेशन सिस्टम (INDUS) सॉफ्टवेअर का उपयोग करके लुप्तप्राय किस्म डेटाबेस को डिजिटल किया गया। भारतीय परिस्थितियों में 35 फसलों के DUS परीक्षण मानदंडों का विकास।
  • मेगा बीज प्रोजेक्ट द्वारा वर्ष 2006-07 में एक वर्ष में उन्नत किस्मों के बीज का उत्पादन दुगुना करके 606,000 क्विंटल किया गया; इस प्रकार खेती के लिए जारी किस्मों में बढोतरी संभव हुई।

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Animal Science Division, ICAR
भा.कृ.अनु.प. का पशु विज्ञान संभाग 18 अनुसंधान संस्थानों और इनसे संबद्ध क्षेत्रीय केन्द्रों के अनुसंधान कार्यकलापों देने का समन्वयन और निगरानी का कार्य करता है। इस संभाग के तहत 2 राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान हैं जो कि डीम्ड यूनीवर्सिटी भी हैं; यही नहीं 5 केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान एक राष्ट्रीय ब्यूरो, 4 प्रायोजना निदेशालय और 6 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र भी इस संभाग के अधीन हैं। इस संभाग द्वारा 7 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान प्रायोजनओं, प्रसार कार्यक्रमों और 8 नेटवर्क अनुसंधान कार्यक्रमों का भी समन्वयन किया जाता है। इसके अलावा 4 आऊटरीच प्रोग्राम और 3 मेगा सीड प्रोजेक्ट (मुर्गी, भेड़, सूअर) देश के विभिन्न भागों में भा.कृ.अनु.प. संस्थानों, राज्य कृषि/पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाये जा रहे हैं।

Animal Science Organogram
विज़न
भारत को खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए पशुधन और मुर्गीपालन में उत्पादन बढ़ाना, लाभ, प्रतिस्पर्धा और टिकाऊपन को बनाये रखने के लिए प्रौद्योगिकी विकास।
मिशन
पशुधन और मुर्गीपालन के क्षेत्र में कार्यरत और उभरते क्षेत्रों में आवश्यकता आधारित अनुसंधान की सुविधा प्रदान करते हुए उत्पादन में वृद्धि, क्षमता और वास्तविक उत्पादन के फर्क को कम करना और देश को वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार करना।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र
  • देसी पशुधन संसाधनों के मॉलीकेयूलर सिग्नेचर्स
  • प्रजनन दक्षता एवं भ्रूणीय हानि में सुधार
  • रोग प्रबन्धन क्षमता के लिए चिह्नक सहायक चयन द्वारा आनुवंशिक प्रतिरोधिता बढ़ाना
  • भैंस और बकरी जीनोमिक्स
  • पशु स्वास्थ्य और उत्पादन के लिए स्टेम कोशिका अनुसंधान
  • निम्न गुणवत्ता के अपशिष्ट का इन विवो और इन विट्रो तरीके से उपयोग में सुधार
  • पशुओं के सूक्ष्मपोषण स्तर आकलन के लिए बायोकैमिकल मार्कर
  • न्यूट्रीजीनेामिक्स,  न्यूट्रास्यूटीकल, फंक्शलन फूड
  • पोषण उपयोगिता बढ़ाने के लिए प्रोबायोटिक्स/प्रीबायोटिक्स
  • पशुधन से निकलने वाली ग्रीन हाऊस गैस का प्रबंध करना
  • शैल्टर प्रबंधन द्वारा जलवायु परिवर्तन की अनुकूल रणनीति
  • बायोटैक और नैनोटैक टूल्स द्वारा विभिन्न रोगों के लिए नैदानिक और बचाव तकनीकों का विकास करना
  • डीएनए वैक्सीन तैयार करना
  • विदेशी रोगों की निगरानी और उत्तरजीवितिता प्राणिरूजा (जूनोटिक) रोग
  • नई पीढ़ी की और देसी दवाइयां बनाने के लिए फार्माकोजीनीमिक्स
  • फार्मास्यूटिकल/न्यूट्रास्यूटिकल उत्पादन के लिए पराजीनी मुर्गियां और सूअर
  • अजैविक दबाव और आणविक चिह्नक के विकास के लिए एलील माइनिंग
  • पर्यावरणीय और औद्योगिक प्रदूषक; माइकोटॉक्सिन और ड्रग अवशेष का अपशिष्ट विश्लेषण।
  • पशुधन और मुर्गी उत्पाद का मूल्य संवर्धन, शेल्फ लाइफ बढ़ाना और गुणवत्ता सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का विकास और सुधार
क्षमता
मानवशक्ति
वैज्ञानिकों की कुल कैडर क्षमता: 1019
मौजूदा वैज्ञानिकों की संख्या: 778
मूलभूत सुविधाएं
फार्म और पशु
देश भर में फैले पशु संस्थानों में गोपशु, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, ऊंट, अश्व, याक, मिथुन, खरगोश और मुर्गियों के लिए अनुसंधान फार्म
प्रयोगशालाएं
पशु आनुवांशिकी और प्रजनन के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में मूलभूत और नीतिगत अनुसंधान के लिए संस्थानों में अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की गयीं।
विशेष सुविधाएं
जैव सुरक्षा और जैव संदूषण प्रयोगशालाएं, न्यूक्लीयर तकनीक प्रयोगशालाएं, वीर्य मूल्यांकन और गुणवत्ता नियंत्रण, अवशेष विश्लेषण, आहार विश्लेषण, भ्रूण हस्तांतरण प्रयोगशालाएं, आणविक जैविकी, रूमन्थी जैवप्रौद्योगिकी, दुग्ध और दुग्ध उत्पाद प्रसंस्करण इकाई, मांस और मांस प्रसंस्करण इकाई, ऊन प्रसंस्करण इकाई, मॉडल डेरी प्लांट, वैक्सीन उत्पादन इकाई, जर्म प्लाज्म और डीएनए बैंक।
मानव संसाधन विकास
पशु चिकित्सा, पशु विज्ञान और डेरी विज्ञान के विभिन्न विषयों में स्नातक, परास्नातक और डॉक्टरेट डिग्री और नेशनल डिप्लोमा दो डीम्ड यूनीवर्सिटी द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
(विस्तृत जानकारी के लिए   www.ndri.res.in और www.ivri.nic.in देखें)
अनुसंधानकर्ताओं, प्रसार कर्मियों, अध्यापकों, छात्रों और किसानों की आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
(विस्तृत जानकारी के लिए वेबसाइट के माध्यम से पशु संस्थानों से संपर्क करें)
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
जैव प्रौद्योगिकी और मालीक्यूलर बायोलोजी जैसे अद्यतन क्षेत्रों में श्रेष्ठ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के सहयोग से साझा कार्यक्रम चलाये जाते हैं।

संपर्क

डा. जयकृष्ण जेना, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान)
पशु विज्ञान संभाग, कृषि भवन, नई दिल्ली 110 001.
फोनः (कार्यालय) 91-11-23381119, 91-11-23388991 एक्स. 200; फैक्सः 91-11-23097001
ई-मेलः ddgas[dot]icar[at]nic[dot]in

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आदेश ऑग्रो सर्विसेस वैजापूर

शनी मंदिर समोर,
वैजापूर,महाराष्ट्र, भारत - 423701
+91 9860 3737 88
+91 9422 7137 37,+91 9822 7137 37
कॉल सेंटर : +91 9422 450 350
ऑफिस : +91 02436-22-3737